बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है। बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है।
सूरज की पहली किरण सा माँ के आंचल के झरोके से झाँक ही जाता है,ये गुनगुनाता बचपन।। सूरज की पहली किरण सा माँ के आंचल के झरोके से झाँक ही जाता है,ये गुनगुनाता ...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
शीतल चांदनी की चमक जुगनू संग फैलाता चलूँ.. शीतल चांदनी की चमक जुगनू संग फैलाता चलूँ..
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...