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जीवन क्यू है रहा है तो गुनगुनाता बरसाता बुढापा ये हंसता कविता है कौन है परिंदा कवि है किसलिए है अच्छी कविता है चमक उड़ता बचपन प्रकृति

Hindi गुनगुनाता है Poems